2024 में डिफेंस स्टॉक्स ने निवेशकों का दिल जीत लिया था, लेकिन कुछ समय पहले इन स्टॉक्स में तेज गिरावट देखी गई। ग्लोबल टेंशन और डिफेंस एक्सपोर्ट्स के बढ़ते ट्रेंड्स ने इस सेक्टर को रैली कराया था, पर हाई वैल्यूएशन, बजट चिंताओं और प्रॉफिट-बुकिंग ने इसे ठंडा कर दिया। लेकिन अब, यूरोप के ₹850 बिलियन के डिफेंस प्लान के आने के बाद, यह सेक्टर फिर से निवेशकों की नजर में है। आइए समझते हैं कि यह प्लान क्या है, और भारतीय डिफेंस स्टॉक्स को इससे कैसे फायदा होगा।

यूरोप का ₹850 बिलियन डिफेंस प्लान
यूरोप ने यह बड़ा कदम तब उठाया है जब अमेरिका ने यूक्रेन को मिलिट्री एड देना बंद कर दिया। इसके बाद, EU ने अपने सदस्य देशों से कहा है कि वे अपने डिफेंस खर्च को GDP का 1.5% तक बढ़ाएं। इससे अगले 4 सालों में कुल डिफेंस खर्च ₹683 बिलियन (EUR 650 बिलियन) तक पहुंच जाएगा।
इसके अलावा, EU ने एक जॉइंट बॉरोइंग प्लान भी पेश किया है, जिसमें ₹157 बिलियन (EUR 150 बिलियन) एयर डिफेंस, मिसाइल सिस्टम्स, आर्टिलरी, ड्रोन्स और म्युनिशन जैसी जरूरतों के लिए आवंटित किया गया है। कुल मिलाकर, यह “ReArm Europe” प्लान लगभग ₹850 बिलियन का है, जो डिफेंस सेक्टर के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है।
भारतीय डिफेंस स्टॉक्स को कैसे फायदा?
यूरोप का यह प्लान भारतीय डिफेंस कंपनियों के लिए एक गोल्डन ऑपर्च्युनिटी है। भारत डायनामिक्स, सोलर इंडस्ट्रीज और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी कंपनियां पहले ही आर्मेनिया जैसे देशों को उपकरण सप्लाई कर चुकी हैं। अब इन कंपनियों को यूरोप के बढ़ते डिफेंस बजट से भी फायदा होने वाला है।
- डिफेंस प्रोडक्ट्स की बढ़ती डिमांड: EU के डिफेंस खर्च के साथ-साथ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी और सिस्टम्स की डिमांड भी बढ़ेगी। भारतीय कंपनियां इन डिमांड्स को पूरा करने में आगे रहेंगी।
- एक्सपोर्ट ऑपर्च्युनिटीज: ग्लोबल डिफेंस खर्च बढ़ने से भारतीय कंपनियों को यूरोप और अन्य देशों में एक्सपोर्ट के नए मौके मिलेंगे।
- कॉलैबोरेशन और जॉइंट वेंचर्स: EU के साथ पार्टनरशिप से भारतीय कंपनियों का टेक्नोलॉजिकल नॉलेज इम्प्रूव होगा और मार्केट भी एक्सपैंड होगा।
- सरकारी पॉलिसीज का सपोर्ट: आत्मनिर्भर भारत इनिशिएटिव और ग्लोबल डिफेंस ट्रेंड्स का कॉम्बिनेशन भारतीय कंपनियों को सरकारी टेंडर्स और ग्लोबल कॉन्ट्रैक्ट्स दिलाने में मदद करेगा।
भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट
FY24 में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट ₹21,000 करोड़ तक पहुंच गया है, जो एक रिकॉर्ड है। यह पिछले साल से 33% ज्यादा है, और ‘मेक इन इंडिया’ इनिशिएटिव का असर है। सरकार का लक्ष्य है कि 2029 तक डिफेंस एक्सपोर्ट ₹50,000 करोड़ तक पहुंच जाए।
एलारा सिक्योरिटीज के अनुसार, अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया टॉप इम्पोर्टर्स हैं भारतीय डिफेंस प्रोडक्ट्स के। भारतीय कंपनियों ने 155mm आर्टिलरी, आकाश मिसाइल, पिनाका रॉकेट सिस्टम, ब्रह्मोस मिसाइल, डोर्नियर एयरक्राफ्ट, रडार्स, आर्मर्ड व्हीकल्स और नाइट विजन इक्विपमेंट जैसे एडवांस्ड प्रोडक्ट्स सप्लाई किए हैं।
अंतिम विचार
यूरोप का ₹850 बिलियन डिफेंस प्लान भारतीय डिफेंस सेक्टर के लिए एक गेम-चेंजर है। ग्लोबल टेंशन और बढ़ते डिफेंस बजट के साथ, भारतीय कंपनियों को नए अवसर मिल रहे हैं। यदि आप लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट की सोच रहे हैं, तो यह सेक्टर आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। डिफेंस सेक्टर का भविष्य उज्ज्वल है, और अभी इसमें निवेश करना एक स्मार्ट मूव हो सकता है।
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